Swastik

स्वास्तिक 

शास्त्रीय विधि से स्वास्तिक का निर्माण
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा: स्वस्ति न पूषा विश्ववेद:
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमि:। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:

स्वास्तिक निर्माण विधि:- प्रथमतः 1 से 2 नीचे से ऊपर फिर 3 से 4 फिर 3 से 6 फिर 5 से 1 फिर 2 से 8 फिर 7 से 4 फिर 9 से 5 फिर 6 से 10 को फिर 12 को 7 से फिर 8 से 11 को मिलाएं तथा 13, 14, 15, 16 के स्थान पर बिन्दी लगाई जायेगी। यही पौराणिक स्वास्तिक निर्माण विधि है। करोड़ों में कुछ ही लोग इस शास्त्रीय एवं सात्विक विधि से स्वास्तिक का निर्माण करते है। भिन्न भिन्न लोग भिन्न भिन्न तरीके से स्वस्तिक का निर्माण करते है जो कि सही नहीं है। गलत विधि से स्वस्तिक निर्माण करने से कार्य की सफलता पर प्रश्न चिन्न लग जाता है, इसी कारण हमारी पौराणिक शक्तियां जाग्रत नहीं हो पाती। 
प्रायः नीचे से ऊपर की ओर ही स्वास्तिक का निर्माण करना चाहिये जिसके फलस्वरूप हम या हमारा व्यवसाय भी इसी प्रकार उन्नति करता है। एक बार स्वास्तिक निर्माण के बाद उसे बार-बार नहीं देखना चाहिए। व्यापारी को व्यापार की सफलता हेतु प्रत्येक बृहस्पतिवार इस विधि से स्वास्तिक का निर्माण करना चाहिए।

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